पिताओं और पुत्रों की

पिताओं और पुत्रों की  (रचनाकार - प्रो. असीम पारही)

(अनुवादक: दिनेश कुमार माली )
आगमन

 

मैं हूँ
माँ की गोद में खेलने वाला पुत्र
जन्मते ही, 
तड़के-तड़के खोज रहा हूँ
स्मृति-भ्रंश कर्ण। 
 
दुर्योधन, मेरे पालक पिता
स्वाभिमानी राजा, अकेले योद्धा
बसंत में जन्मे, राष्ट्रवादी शिक्षक। 
कुरुवंशी देश-भक्त
भगवा वामपंथी
दागते गोलियाँ
रीढ़हीन दक्षिणपंथी और
दबे कम्युनिस्टों पर। 
 
इतिहास गवाह है
कविता बचाती पलायन से
शब्द करते विनाश
अदूरदर्शी मार्क्सवादियों की
शक्ति के अजस्र-स्रोत का। 
 
महाकाव्य-आदर्शवाद से कोसों दूर, 
अतीत की हारों का प्रमुख दस्तावेज़
और उनकी वापसी से
बदल जाती है तालिकाएँ
और होती है उद्घोषणा
जय की अंतिम बार। 

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