पिताओं और पुत्रों की

पिताओं और पुत्रों की  (रचनाकार - प्रो. असीम पारही)

(अनुवादक: दिनेश कुमार माली )
एकजुटता का अंश

 

अनौपचारिक, औपचारिक और आकस्मिक
चुभती, प्रहार करती और चुटकी लेती
जीवन की अनिश्चितता पर
फिर भी स्थिरता का बोध, 
विशाल अचूकता
अपनी भयानक व्याधि पर
और खदेड़ते
कर देता अँधेरा
बचे-खुचे विश्वास का
मेरा अंतिम स्थल। 
 
मुस्कान का प्रदर्शन
समझौतों का नीरवपन
मगर दलीलों का लुच्चापन, 
अपूरणीय अनुपस्थिति की
चिंताओं का निदान
 
आंशिक एकजुटता
प्राकृतिक तुल्यता
वेश्याओं का आहत समय
अक़्सर संचित पुरानी स्मृतियों का सूक्ष्म खाद्य
टपकाने योग्य
अहंकारी विचारों की व्यथित मनोदशा

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