जब मैं गया कुरुक्षेत्र
मेरे पास था बाँस का धनुष और मेरा करिश्मा
और तुम्हारे पास था तुम्हारा अलौकिक धनुष-बाण
जो दिया था तुम्हें किसी ने दान
मैंने परशुराम से की थी शिक्षा-ग्रहण
और तुमने ऐसे गुरु से, जो नहीं था स्वार्थहीन
मेरे शिक्षक ने दिया मुझे अभिशाप
मगर तुमने तो किया गुरु-हत्या का पाप
और कर दिया सिद्ध
शिष्य हो सकते हैं गुरुहंता
और मैंने गुरु के शाप को माना आशीर्वाद
तुमने तो रक्त-पिपासु वेश्या से किया पाणिग्रहण
और मैंने निभाई शक्तिशाली विशाल हृदय वाले पुरुष से मैत्री
मैंने स्वर्ग में सुना कि तुम्हारा मित्र बनाकर तुम्हें शक्तिहीन
कर तुम्हें नरपुंगव, ख़ुद चला गया वन
जहाँ जारा-शबर ने पैरों के तलवों में मारा तीर,
सच में वह था जंगल में उस कायर मौत का हक़दार।
आजीवन तुम बने रहे किसी बाहरी व्यक्ति के दास,
जिसने वजह से हुई तुम्हारे पुत्र-प्रपोत्रों की निर्मम हत्या,
फिर भी कहते रहे तुम उसे भगवान
मित्र नहीं होते एक दूसरे के ग़ुलाम
और नहीं होते पत्नियों को अनसुना करने वाले कम बहादुर
मुझे और मेरे ग़ुस्सैल कुरु को नहीं था अपने जीवन से लाड़-प्यार
जो थी तुम्हारी रक्तपिपासु पत्नी की चाह
महाभारत के युद्ध में तुमने सेवा की उसकी,
जिसने यशोदा, राधा और वृंदावति को दिया धोखा?
मैं सूर्य से पैदा हुआ हूँ,
और तुम ऐसे देवता से,
जो हमेशा संघर्षरत, भटकता इधर-उधर?
इतिहास में मृत्युंजय की पत्नी नहीं होगी अमर,
मगर मेरी महिमा और प्रेम का गौरव सदैव यादगार
आने वाली पीढ़ी तुम्हें कोसेगी और तुम्हारे प्रशंसक भी।
विषय सूची
- पिता के रोम-रोम
- समय का शरणार्थी
- पुत्र से पिता
- जियो मानव, जियो!
- एक और फरवरी
- गगन-प्रकृति
- आहत विचार
- विश्वासघात
- मृत्यु के बाद की लंबी कविता
- प्यारी माँ
- मेरे पिता के लिए
- उदासी
- फिर से आना
- पितृहीन
- आत्महत्या के शोकगीत
- मैं पीने वाला
- प्रेमी
- पौ फटने से ठीक पहले
- सूर्य-जन्मा
- राजकुमार हेमलेट
- पिता होते हुए पुत्र तनाव में!
- अभिमान
- क्या पिता एक मज़ाक है?
- मेरा चंद्रिल प्रेम
- यात्रा
- पुनरागमन
- प्रतिशोध
- हठी
- पूर्णिमा की ज्योत्स्ना में भीगी कविता
- माता
- पत्नी
- कौन कहता है कि तुम भगवान हो?
- दुर्योधन का उत्तर
- मौन
- आत्म-हत्या
- दक्षिणी पवन
- दुर्योधन-पुत्र
- इतिहास का बोझ
- अंतर्द्वंद्व
- त्रिवेणी
- मैं यहाँ हूँ
- तुम और मैं
- कर्कश सुबह
- एकजुटता का अंश
- निष्कासन
- मदलाशी
- जब मैं तुमसे प्यार करता हूँ
- मृत्युंजय
- हत्या
- जब तुम चले जाओगे
- हम
- अकेले दिन
- साँसों में जन्म-स्थान
- प्रेम और प्रतिशोध
- आगमन
- स्थितप्रज्ञ
- अविस्मरणीय समय
- मैं तुमसे यही चाहता था
- शर-शैय्या
- रात और गृह-विरह
- अभी भी नरक
- मनु-पुत्र
- आज रात मैं लिखूँगा आँसुओं से कविता
- शिखर पतन
- प्यार की दासता
- शरद ऋतु में सितंबर
- अकेले रहना एक विकल्प
- पिताओं और पुत्रों की
लेखक की कृतियाँ
अनुवादक की कृतियाँ
- साहित्यिक आलेख
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- अमेरिकन जीवन-शैली को खंगालती कहानियाँ
- आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की ‘विज्ञान-वार्ता’
- आधी दुनिया के सवाल : जवाब हैं किसके पास?
- कुछ स्मृतियाँ: डॉ. दिनेश्वर प्रसाद जी के साथ
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