मैं केवल मनुष्य-कृति
बचपन से ही अपनी निर्मिति
मिली पहली या दूसरी कक्षा तक पाश्चात्य-शिक्षा
क्योंकि मैं था हमेशा स्वतंत्र
शुरूआत से अंत तक
याद नहीं मुझे अब तक
यदि दूसरे अतीत के अंकगणित में कमज़ोर
मेरे प्रागैतिहासिक या उत्तर-वाद स्थल पर
नहीं थी कोई भी नारी कभी असहाय,
नहीं अनसुनी या चेहरे पर भय
मैंने नहीं दिया कभी कोई प्रवचन,
चाहे वह दलित, नारीवादी या धर्मनिरपेक्ष परिजन
या सामाजिक प्रवक्ता या धोखेबाज़ कार्यकर्ता
मुझे केवल याद है, एक अकेला नर,
जातिवाद-सांप्रदायिकता से ले रहा था टक्कर
अकेले पूर्वाग्रही लैंगिक भेद मिटाने के ख़ातिर
पहले से ही, तुम्हारी तुष्टीकरण की राजनीति में संघर्षरत
जादू-टोने के पंजों के बीच उस आदमी की लड़ाई
एकतरफ़ा नहीं, संयोगवश वह विजयी
विद्रोही विजेता ने बनाए अपने नियम
नैतिक निस्संगता के अपने आदर्श संयम
सत्य-संगीत बना उसका उत्कृष्ट प्रेम
यही कारण, यही कारण
जीतना होता है निर्दोष पागलपन
क़ायम हूँ अपने इस कथन
मानवता के जय-जयकार के लिए मेरी लग्न,
वास्तव में विजय होती है किसी का क्षुद्र अनुकरण
इस रंगमंच पर निःस्वार्थ, बेपरवाह युद्ध और बलिदान
इसलिए मनु-पुत्र,
शान्ति से रहो, भूल जाओ वह प्रहर
कि कभी खड़ा था बाहर
वह जन्मा अजर-अमर
जन्म, राष्ट्रीयता या धर्म से परे
परिसर के इतिहास से परे
और उनके असहिष्णु निंदक, नैतिक विचारधारा से प्रेरित
संकेंद्रित भाव से शिक्षाविदों को करते हैं परिभाषित?
उपदेश देते रहो, कैसे लाए देश में प्रपंच-प्रलय?
क्योंकि तुमने नहीं देखा विभाजन का समय
दानवी वामपंथी विचारधारा बनी रहे आबाद
राष्ट्र, जाति और लिंग-भेद से फैलाओ उन्माद
मैं और मेरी मानवतावादी प्रतियोगिता
अकेले छोड़कर हो जाओ आज़ाद,
बनाए रखो अपना ऊँचा झण्डा आबाद
न क्षमा, न दया, न प्रेम, न मनुष्यता
जब तक मेरी आत्मा को मिल न जाता
स्वर्गिक प्रसाद।
विषय सूची
- पिता के रोम-रोम
- समय का शरणार्थी
- पुत्र से पिता
- जियो मानव, जियो!
- एक और फरवरी
- गगन-प्रकृति
- आहत विचार
- विश्वासघात
- मृत्यु के बाद की लंबी कविता
- प्यारी माँ
- मेरे पिता के लिए
- उदासी
- फिर से आना
- पितृहीन
- आत्महत्या के शोकगीत
- मैं पीने वाला
- प्रेमी
- पौ फटने से ठीक पहले
- सूर्य-जन्मा
- राजकुमार हेमलेट
- पिता होते हुए पुत्र तनाव में!
- अभिमान
- क्या पिता एक मज़ाक है?
- मेरा चंद्रिल प्रेम
- यात्रा
- पुनरागमन
- प्रतिशोध
- हठी
- पूर्णिमा की ज्योत्स्ना में भीगी कविता
- माता
- पत्नी
- कौन कहता है कि तुम भगवान हो?
- दुर्योधन का उत्तर
- मौन
- आत्म-हत्या
- दक्षिणी पवन
- दुर्योधन-पुत्र
- इतिहास का बोझ
- अंतर्द्वंद्व
- त्रिवेणी
- मैं यहाँ हूँ
- तुम और मैं
- कर्कश सुबह
- एकजुटता का अंश
- निष्कासन
- मदलाशी
- जब मैं तुमसे प्यार करता हूँ
- मृत्युंजय
- हत्या
- जब तुम चले जाओगे
- हम
- अकेले दिन
- साँसों में जन्म-स्थान
- प्रेम और प्रतिशोध
- आगमन
- स्थितप्रज्ञ
- अविस्मरणीय समय
- मैं तुमसे यही चाहता था
- शर-शैय्या
- रात और गृह-विरह
- अभी भी नरक
- मनु-पुत्र
- आज रात मैं लिखूँगा आँसुओं से कविता
- शिखर पतन
- प्यार की दासता
- शरद ऋतु में सितंबर
- अकेले रहना एक विकल्प
- पिताओं और पुत्रों की
लेखक की कृतियाँ
अनुवादक की कृतियाँ
- साहित्यिक आलेख
-
- अमेरिकन जीवन-शैली को खंगालती कहानियाँ
- आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की ‘विज्ञान-वार्ता’
- आधी दुनिया के सवाल : जवाब हैं किसके पास?
- कुछ स्मृतियाँ: डॉ. दिनेश्वर प्रसाद जी के साथ
- गिरीश पंकज के प्रसिद्ध उपन्यास ‘एक गाय की आत्मकथा’ की यथार्थ गाथा
- डॉ. विमला भण्डारी का काव्य-संसार
- दुनिया की आधी आबादी को चुनौती देती हुई कविताएँ: प्रोफ़ेसर असीम रंजन पारही का कविता—संग्रह ‘पिताओं और पुत्रों की’
- धर्म के नाम पर ख़तरे में मानवता: ‘जेहादन एवम् अन्य कहानियाँ’
- प्रोफ़ेसर प्रभा पंत के बाल साहित्य से गुज़रते हुए . . .
- भारत के उत्तर से दक्षिण तक एकता के सूत्र तलाशता डॉ. नीता चौबीसा का यात्रा-वृत्तान्त: ‘सप्तरथी का प्रवास’
- रेत समाधि : कथानक, भाषा-शिल्प एवं अनुवाद
- वृत्तीय विवेचन ‘अथर्वा’ का
- सात समुंदर पार से तोतों के गणतांत्रिक देश की पड़ताल
- सोद्देश्यपरक दीर्घ कहानियों के प्रमुख स्तम्भ: श्री हरिचरण प्रकाश
- पुस्तक समीक्षा
-
- उद्भ्रांत के पत्रों का संसार: ‘हम गवाह चिट्ठियों के उस सुनहरे दौर के’
- डॉ. आर.डी. सैनी का उपन्यास ‘प्रिय ओलिव’: जैव-मैत्री का अद्वितीय उदाहरण
- डॉ. आर.डी. सैनी के शैक्षिक-उपन्यास ‘किताब’ पर सम्यक दृष्टि
- नारी-विमर्श और नारी उद्यमिता के नए आयाम गढ़ता उपन्यास: ‘बेनज़ीर: दरिया किनारे का ख़्वाब’
- प्रवासी लेखक श्री सुमन कुमार घई के कहानी-संग्रह ‘वह लावारिस नहीं थी’ से गुज़रते हुए
- प्रोफ़ेसर नरेश भार्गव की ‘काक-दृष्टि’ पर एक दृष्टि
- वसुधैव कुटुंबकम् का नाद-घोष करती हुई कहानियाँ: प्रवासी कथाकार शैलजा सक्सेना का कहानी-संग्रह ‘लेबनान की वो रात और अन्य कहानियाँ’
- सपनें, कामुकता और पुरुषों के मनोविज्ञान की टोह लेता दिव्या माथुर का अद्यतन उपन्यास ‘तिलिस्म’
- बात-चीत
- ऐतिहासिक
- कार्यक्रम रिपोर्ट
- अनूदित कहानी
- अनूदित कविता
- यात्रा-संस्मरण
-
- पूर्व और पश्चिम का सांस्कृतिक सेतु ‘जगन्नाथ-पुरी’: यात्रा-संस्मरण - 2
- पूर्व और पश्चिम का सांस्कृतिक सेतु ‘जगन्नाथ-पुरी’: यात्रा-संस्मरण - 3
- पूर्व और पश्चिम का सांस्कृतिक सेतु ‘जगन्नाथ-पुरी’: यात्रा-संस्मरण - 4
- पूर्व और पश्चिम का सांस्कृतिक सेतु ‘जगन्नाथ-पुरी’: यात्रा-संस्मरण - 5
- पूर्व और पश्चिम का सांस्कृतिक सेतु ‘जगन्नाथ-पुरी’: यात्रा-संस्मरण - 1
- रिपोर्ताज