पिताओं और पुत्रों की

पिताओं और पुत्रों की  (रचनाकार - प्रो. असीम पारही)

(अनुवादक: दिनेश कुमार माली )
साँसों में जन्म-स्थान

 

गाँव के श्वसन में सुगंधित धूल
दोपहर की सनक, शाम की ज्वाल
हर पल धड़कते युवा दिल
अनंत टकटकी लगाए मनचले मन
अतीत की पीड़ा, विस्फोटक वर्तमान
तेज क़दम और घोषित पवन
रक्त का लक्ष्य ही आक्रमण
बंजर भूमि का एकमात्र रत्न
वसीयत का टीका-टिप्पण
सत्ता, सत्य या त्याग का स्थान
और मृदु नयनों का शांत सांत्वनापन। 

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