पिताओं और पुत्रों की

पिताओं और पुत्रों की  (रचनाकार - प्रो. असीम पारही)

(अनुवादक: दिनेश कुमार माली )
प्रेमी

क़िले नहीं बनते हैं
ईंटों या षडयंत्र-व्यापार से, 
क़िले विस्तृत चट्टानों और पत्थरों के
संबंधों को सुदृढ़ करते
लेकिन उनके आलिंगन से
पीड़ा से
दुख से
कर्ण, दुर्योधन, हेमलेट्स और हेनचार्ड के
निस्संग-धड़कनों के शिशिर सम्मिश्रण से
साहित्य सिखाता है और रचता है विधान
फिर, कौन-सी कचहरी, या ध्यान-धर्म का शिकंजा? 
कृष्ण, पांडव, द्रौपदी और कुंती के? 
अपराधियों, व्यभिचारियों और ख़ून के प्यासे राक्षसों के?? 
केवल मैं, विक्टर
मेरा बेटा, शासक। 

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