पिताओं और पुत्रों की

पिताओं और पुत्रों की  (रचनाकार - प्रो. असीम पारही)

(अनुवादक: दिनेश कुमार माली )
मैं यहाँ हूँ

 

सूर्यास्त के समय
चारों ओर चिलचिलाती पवन
प्रकृति का अपना स्थान
पिरोता हमें एक-सूत्र में। 
मेरे शब्दों से परे
तुम्हारी निर्मलता
नहीं है दूर
मेरे पुत्र, मेरे सत्य, मेरे प्यार
हम साथ-साथ हर पल
इतना दूर, उतना दूर
सब व्यर्थ अर्थहीन
मैं हूँ यहाँ, मैं हूँ यहाँ। 

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