पिताओं और पुत्रों की

पिताओं और पुत्रों की  (रचनाकार - प्रो. असीम पारही)

(अनुवादक: दिनेश कुमार माली )
आत्महत्या के शोकगीत

एक था समय
समय से ज़्यादा नहीं
एक समय
हर समय
और केवल एक समय
मेरी छत, मज़बूत स्थिर
अभी भी वाष्पीय मगर मधुर
झाँककर देखा मैंने
गिराया इसमें, 
किया प्रहार
धुँध और स्मृति के धुएँ में
उस अशांत मुठभेड़ के लिए
मेरी खिड़कियों के शीशों पर, 
मेरे शरारती स्वभाव के धर्मयोद्धा
मानसून में अगस्त की असभ्य दूरी
सड़ाँध और अटकलबाज़ी भरी
जॉयस कलाकारी
स्थिर, वह आख़िरी हेमलेट्स और
क्वेंटिन के युग पुरानी झंकार
मेरे पूर्वज
कलात्मक आत्महंता
कर्ण, दुर्योधन
रावणी विचारक
भरते मेरे भीतर
अपनी मौत की तलाश
जीवन की साँस
मोमी इकारस
रुकना और गिरना
उड़ना और बिखरना, 
मैं हूँ आसन रहित
आदर्श प्रचारक

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