पिताओं और पुत्रों की

पिताओं और पुत्रों की  (रचनाकार - प्रो. असीम पारही)

(अनुवादक: दिनेश कुमार माली )
राजकुमार हेमलेट

भुगतने होंगे भाग्य के शूल
या उठाने होंगे हथियार
मुसीबतों के महासागर
होना या ना होना
यह है प्रश्न
 
अतीत के सावन की
धुँधली स्मृतियाँ
अति नज़दीक
अभी तक अंतिम यजमान
 
तरह-तरह की घटनाओं से भरा यह वर्ष
अरे! तुम हो अमिट
मेरे अंतस की असीम पृष्ठभूमि
में खिले दो श्वेत धवल पुष्प
धर्म और सत्य
विगत सावन महीने के झूलें
अंतिम चाँद का वलय
देते हैं तुम्हें श्रद्धांजलि
दूर से ही सही
पुण्य से बढ़ता है प्रेम
दृढ़ से दृढ़तर। 

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