पिताओं और पुत्रों की

पिताओं और पुत्रों की  (रचनाकार - प्रो. असीम पारही)

(अनुवादक: दिनेश कुमार माली )
अकेले दिन


प्रिय प्रेम, डगमगाता विश्वासपात्र
अकेले दिनों का एकमात्र वंशज
शोक भरी रातें और दमघोंटू समय
हिमालयी धैर्य और नीरव झंकार
समय के मोहताज नहीं चलते क़दम
और न ही स्वयं की नीरस शान्ति के ग़ुलाम
मैं और ‘मैं’ के स्थान
खोखले, जघन्य नियम-क़ानून
डराती मृत्यु
द्युतिमान प्रेम
हैं मगर वही
पकड़ो उन्हें युवा
और करो उनका दीर्घ मिलान। 

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