पिताओं और पुत्रों की

पिताओं और पुत्रों की  (रचनाकार - प्रो. असीम पारही)

(अनुवादक: दिनेश कुमार माली )
हम


मैं
 
ऊबड़-खाबड़ सौन्दर्य, 
काली-कलूटी आत्मा
खुरदरी प्रकृति की प्राचीन रिक्तता
और स्वच्छंद भूमिका
में मेरा अभिनय, 
मैंने विभाजित कर दी है
अपनी अनियंत्रित शुरूआत। 
 
तुम

जीवंत सूर्य के जंगली उत्तराधिकारी
आकाश की गति और माटी-पुत्र
लघु-दौड़ की लालसा, धूल-धूसरित शासक
स्नान और खिलखिलाने के लिए पर्याप्त नीलापन
तुम हो कड़कड़ाती वर्षा के धर्मनायक
दहाड़ते शेर का शांत समर्पण
खोजी निगाहों की धुँधली कल्पना
काल्पनिक चेहरे, भव्य पूर्वजों के प्राण
एक बार फिर, मैं हूँ यहाँ, मैं हूँ यहाँ। 

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