जियो अपना पूर्ण ‘स्व’,
हे व्याधि मानव!
हे पीड़ित-पुरुष!
किसी ने आज तक नहीं गाई गाथा
तुम्हारे ऐतिहासिक विरासत की,
तुम्हारे नारकीय जीवन की,
मध्याह्न जीवन के अंतहीन ज़ंजीरों,
मरणासन्न चुड़ैलों और उनके सत्य की,
क्लांत-पुत्रों और विश्रांत-जनता
पर कटार चलाने वाले जल्लादों की।
माताएँ होती हैं,
सनातन हत्यारिनें
भले ही, आँकी नहीं गई हो,
महाकाव्य, मिथक, या आधुनिक मानस में?
क्या याद हैं द्रौपदी, कुंती जैसी नारियाँ?
सशक्त स्त्री, असहाय पुत्र!
मासूमों पर क़हर ढाती क्रूरता?
कर्ण! तुम क्यों खोते हो अपना ‘स्व’
मुँहफट महिलाओं,
ग़ुलाम भाइयों और
अहंकारी अगुआओं के लिए?
जो पीछे छोड़ते हैं
नितांत अकेले पुरुष,
दुर्योधन की शृंखला
और करते हैं अध्यारोपित
नवागत पीढ़ी पर
कलंकित महिमा
त्रासदीपूर्ण।
क्यों उज्ज्वल
क्यों द्युतिमान
क्यों तेजस्वियों के
भाग्य में लिखा है
कष्ट-ही-कष्ट
स्त्रियों या गुर्राते शिकारियों की वजह से?
जागो, पुरुष भाइयों!
महाकाव्यों में करें सुधार
पुरुष-पुनरुत्थान फिर से एक बार।
विषय सूची
- पिता के रोम-रोम
- समय का शरणार्थी
- पुत्र से पिता
- जियो मानव, जियो!
- एक और फरवरी
- गगन-प्रकृति
- आहत विचार
- विश्वासघात
- मृत्यु के बाद की लंबी कविता
- प्यारी माँ
- मेरे पिता के लिए
- उदासी
- फिर से आना
- पितृहीन
- आत्महत्या के शोकगीत
- मैं पीने वाला
- प्रेमी
- पौ फटने से ठीक पहले
- सूर्य-जन्मा
- राजकुमार हेमलेट
- पिता होते हुए पुत्र तनाव में!
- अभिमान
- क्या पिता एक मज़ाक है?
- मेरा चंद्रिल प्रेम
- यात्रा
- पुनरागमन
- प्रतिशोध
- हठी
- पूर्णिमा की ज्योत्स्ना में भीगी कविता
- माता
- पत्नी
- कौन कहता है कि तुम भगवान हो?
- दुर्योधन का उत्तर
- मौन
- आत्म-हत्या
- दक्षिणी पवन
- दुर्योधन-पुत्र
- इतिहास का बोझ
- अंतर्द्वंद्व
- त्रिवेणी
- मैं यहाँ हूँ
- तुम और मैं
- कर्कश सुबह
- एकजुटता का अंश
- निष्कासन
- मदलाशी
- जब मैं तुमसे प्यार करता हूँ
- मृत्युंजय
- हत्या
- जब तुम चले जाओगे
- हम
- अकेले दिन
- साँसों में जन्म-स्थान
- प्रेम और प्रतिशोध
- आगमन
- स्थितप्रज्ञ
- अविस्मरणीय समय
- मैं तुमसे यही चाहता था
- शर-शैय्या
- रात और गृह-विरह
- अभी भी नरक
- मनु-पुत्र
- आज रात मैं लिखूँगा आँसुओं से कविता
- शिखर पतन
- प्यार की दासता
- शरद ऋतु में सितंबर
- अकेले रहना एक विकल्प
- पिताओं और पुत्रों की
लेखक की कृतियाँ
अनुवादक की कृतियाँ
- साहित्यिक आलेख
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- अमेरिकन जीवन-शैली को खंगालती कहानियाँ
- आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की ‘विज्ञान-वार्ता’
- आधी दुनिया के सवाल : जवाब हैं किसके पास?
- कुछ स्मृतियाँ: डॉ. दिनेश्वर प्रसाद जी के साथ
- गिरीश पंकज के प्रसिद्ध उपन्यास ‘एक गाय की आत्मकथा’ की यथार्थ गाथा
- डॉ. विमला भण्डारी का काव्य-संसार
- दुनिया की आधी आबादी को चुनौती देती हुई कविताएँ: प्रोफ़ेसर असीम रंजन पारही का कविता—संग्रह ‘पिताओं और पुत्रों की’
- धर्म के नाम पर ख़तरे में मानवता: ‘जेहादन एवम् अन्य कहानियाँ’
- प्रोफ़ेसर प्रभा पंत के बाल साहित्य से गुज़रते हुए . . .
- भारत के उत्तर से दक्षिण तक एकता के सूत्र तलाशता डॉ. नीता चौबीसा का यात्रा-वृत्तान्त: ‘सप्तरथी का प्रवास’
- रेत समाधि : कथानक, भाषा-शिल्प एवं अनुवाद
- वृत्तीय विवेचन ‘अथर्वा’ का
- सात समुंदर पार से तोतों के गणतांत्रिक देश की पड़ताल
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- पुस्तक समीक्षा
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- बात-चीत
- ऐतिहासिक
- कार्यक्रम रिपोर्ट
- अनूदित कहानी
- अनूदित कविता
- यात्रा-संस्मरण
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