पिताओं और पुत्रों की (रचनाकार - प्रो. असीम पारही)
(अनुवादक: दिनेश कुमार माली )मैं तुमसे यही चाहता था
हाँ, मैं तुमसे यही चाहता था कि
बनी रहे तुम्हारी मासूमियत
मेरे विद्यालय के पास ग्रीष्म-शाम के झरने के अत्याधुनिक रत्नों से मुक्त,
तुम्हारे पूर्वजों की मृत्यु और सपनों से दूर,
निश्चित रूप से,
कुछ स्वच्छंद युवा पुरुषों की भाषायी सीमाएँ
या महिला कार्यकर्ताओं का दोहरापन
पुराने प्रवचन;
भद्दे पुरुषों के चाटुकारी करतबें
असहिष्णुता? अल्पसंख्यक? धर्म निरपेक्षता?
या जाति और जातिगत नस्लें
न्याय के लिए लड़ने वाले कभी नहीं देते उपदेश,
बिना पंथ पूछे ही हमें भर देते हैं आँसुओं से,
इसलिए अलग-अलग विचारधाराओं के प्रवक्ता
रहते हैं देहातों में
घटिया देशी, हरा-भरा या थोड़ा मतलबी
क्यों रात के खाने पर बहसों की चकाचौंध?
तुम नहीं हो मेरे साहित्य के प्रतिनिधी
तुम मेरे नहीं हो,
जबकि मैं तुम्हें परित्यक्त करती है मेरी आभा-द्युति
अकादमी, कलात्मकता या औसत अवस्था
प्रदेश से दूर,
मिल गई मुक्ति!
भीड़ से, कोलाहल भरी सड़कों और पागल कर देने वाली बैठकों
ठोस मिज़ाज और पुरानी चहक
अगर तुम नहीं चाहती हो मुझे वापस
तो चला जाऊँगा मैं
अगर तुम छीन लेती हो मेरी पकड़
मैं निश्चित रूप से जाऊँगा फट
जिस तरह फटे थे हम
किसी घिनौने अतीत या दोपहर में
जाओ और लिखो मनुष्य के संघर्ष
और महानतम बच्चे के लिए एक तरफ़ा विरोध।
विषय सूची
- पिता के रोम-रोम
- समय का शरणार्थी
- पुत्र से पिता
- जियो मानव, जियो!
- एक और फरवरी
- गगन-प्रकृति
- आहत विचार
- विश्वासघात
- मृत्यु के बाद की लंबी कविता
- प्यारी माँ
- मेरे पिता के लिए
- उदासी
- फिर से आना
- पितृहीन
- आत्महत्या के शोकगीत
- मैं पीने वाला
- प्रेमी
- पौ फटने से ठीक पहले
- सूर्य-जन्मा
- राजकुमार हेमलेट
- पिता होते हुए पुत्र तनाव में!
- अभिमान
- क्या पिता एक मज़ाक है?
- मेरा चंद्रिल प्रेम
- यात्रा
- पुनरागमन
- प्रतिशोध
- हठी
- पूर्णिमा की ज्योत्स्ना में भीगी कविता
- माता
- पत्नी
- कौन कहता है कि तुम भगवान हो?
- दुर्योधन का उत्तर
- मौन
- आत्म-हत्या
- दक्षिणी पवन
- दुर्योधन-पुत्र
- इतिहास का बोझ
- अंतर्द्वंद्व
- त्रिवेणी
- मैं यहाँ हूँ
- तुम और मैं
- कर्कश सुबह
- एकजुटता का अंश
- निष्कासन
- मदलाशी
- जब मैं तुमसे प्यार करता हूँ
- मृत्युंजय
- हत्या
- जब तुम चले जाओगे
- हम
- अकेले दिन
- साँसों में जन्म-स्थान
- प्रेम और प्रतिशोध
- आगमन
- स्थितप्रज्ञ
- अविस्मरणीय समय
- मैं तुमसे यही चाहता था
- शर-शैय्या
- रात और गृह-विरह
- अभी भी नरक
- मनु-पुत्र
- आज रात मैं लिखूँगा आँसुओं से कविता
- शिखर पतन
- प्यार की दासता
- शरद ऋतु में सितंबर
- अकेले रहना एक विकल्प
- पिताओं और पुत्रों की
लेखक की कृतियाँ
अनुवादक की कृतियाँ
- साहित्यिक आलेख
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- अमेरिकन जीवन-शैली को खंगालती कहानियाँ
- आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की ‘विज्ञान-वार्ता’
- आधी दुनिया के सवाल : जवाब हैं किसके पास?
- कुछ स्मृतियाँ: डॉ. दिनेश्वर प्रसाद जी के साथ
- गिरीश पंकज के प्रसिद्ध उपन्यास ‘एक गाय की आत्मकथा’ की यथार्थ गाथा
- डॉ. विमला भण्डारी का काव्य-संसार
- दुनिया की आधी आबादी को चुनौती देती हुई कविताएँ: प्रोफ़ेसर असीम रंजन पारही का कविता—संग्रह ‘पिताओं और पुत्रों की’
- धर्म के नाम पर ख़तरे में मानवता: ‘जेहादन एवम् अन्य कहानियाँ’
- प्रोफ़ेसर प्रभा पंत के बाल साहित्य से गुज़रते हुए . . .
- भारत के उत्तर से दक्षिण तक एकता के सूत्र तलाशता डॉ. नीता चौबीसा का यात्रा-वृत्तान्त: ‘सप्तरथी का प्रवास’
- रेत समाधि : कथानक, भाषा-शिल्प एवं अनुवाद
- वृत्तीय विवेचन ‘अथर्वा’ का
- सात समुंदर पार से तोतों के गणतांत्रिक देश की पड़ताल
- सोद्देश्यपरक दीर्घ कहानियों के प्रमुख स्तम्भ: श्री हरिचरण प्रकाश
- पुस्तक समीक्षा
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- उद्भ्रांत के पत्रों का संसार: ‘हम गवाह चिट्ठियों के उस सुनहरे दौर के’
- डॉ. आर.डी. सैनी का उपन्यास ‘प्रिय ओलिव’: जैव-मैत्री का अद्वितीय उदाहरण
- डॉ. आर.डी. सैनी के शैक्षिक-उपन्यास ‘किताब’ पर सम्यक दृष्टि
- नारी-विमर्श और नारी उद्यमिता के नए आयाम गढ़ता उपन्यास: ‘बेनज़ीर: दरिया किनारे का ख़्वाब’
- प्रवासी लेखक श्री सुमन कुमार घई के कहानी-संग्रह ‘वह लावारिस नहीं थी’ से गुज़रते हुए
- प्रोफ़ेसर नरेश भार्गव की ‘काक-दृष्टि’ पर एक दृष्टि
- वसुधैव कुटुंबकम् का नाद-घोष करती हुई कहानियाँ: प्रवासी कथाकार शैलजा सक्सेना का कहानी-संग्रह ‘लेबनान की वो रात और अन्य कहानियाँ’
- सपनें, कामुकता और पुरुषों के मनोविज्ञान की टोह लेता दिव्या माथुर का अद्यतन उपन्यास ‘तिलिस्म’
- बात-चीत
- ऐतिहासिक
- कार्यक्रम रिपोर्ट
- अनूदित कहानी
- अनूदित कविता
- यात्रा-संस्मरण
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- पूर्व और पश्चिम का सांस्कृतिक सेतु ‘जगन्नाथ-पुरी’: यात्रा-संस्मरण - 2
- पूर्व और पश्चिम का सांस्कृतिक सेतु ‘जगन्नाथ-पुरी’: यात्रा-संस्मरण - 3
- पूर्व और पश्चिम का सांस्कृतिक सेतु ‘जगन्नाथ-पुरी’: यात्रा-संस्मरण - 4
- पूर्व और पश्चिम का सांस्कृतिक सेतु ‘जगन्नाथ-पुरी’: यात्रा-संस्मरण - 5
- पूर्व और पश्चिम का सांस्कृतिक सेतु ‘जगन्नाथ-पुरी’: यात्रा-संस्मरण - 1
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