पिताओं और पुत्रों की

पिताओं और पुत्रों की  (रचनाकार - प्रो. असीम पारही)

(अनुवादक: दिनेश कुमार माली )
पत्नी

 

सभी असफल पुरुषों के पीछे होती हमेशा पत्नी
झगड़ालू, लड़ाकू और अपशकुनी
द्रौपदी, लेडी मैकबेथ, कैकेयी
अटूट अडिग आत्मविश्वासी
खड़ी होती साथ अपने
परिवार, परिजन
दोस्तों, छात्रों और कुछ जादूगरनी
दिखाती अपना प्रेम आसमानी
देखभाल और मगरमच्छी सहानुभूति
हमेशा हमारे हाड़मांस पर पनपती, 
दूसरे को धोखा देने में प्रवीण, 
अन्य
मधुर और समझदार सुंदर बच्चे के प्राण
मेरा पुत्र
जो करता बदमाशों का शिकार
और खेलता नाटक-तंत्र
और दूसर, अंतरंगता से करता गहरा प्यार
झीने पर्दे वाला परिवार
जहाँ छिपा आतंक, राजनीति अपार
याद रखना पुत्र, पिता का ध्येय-स्रोत
एकाकी पुरुष की महत्वाकांक्षी प्रभात, 
हज़ार साल जीवन जीकर
मिले मुझे चाकू के प्रहार, 
पाले मैंने शक्तिशाली तीर
ले सकूँ तिलस्मी त्रिमूर्तियों से प्रतिशोध गंभीर
हम नहीं हुए पैदा मरने के ख़ातिर
हम हैं अमर शूरवीर
जब तक नहीं मिलेगी विजय-श्री
कभी नहीं करेंगे आराम पलभर भी। 

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