पिताओं और पुत्रों की

पिताओं और पुत्रों की  (रचनाकार - प्रो. असीम पारही)

(अनुवादक: दिनेश कुमार माली )
मदलाशी

 

शीतल, सुखद, मदलाशी चाँद
सहवासरत पूर्वी गगन
खोजती स्वर्गीय प्रेमी को दक्षिणी पवन
प्रेम-वापसी या मध्यरात्रि उत्पीड़न? 
कला; पारदर्शी झूठ की रुग्ण मनोदशा
असभ्य नीरसता और सामूहिक आशा
मेरे प्रेम से जन्मे अनंत उद्भिज
पूर्वजों के रक्त को सूँघते जलज
युवा वेश्याओं के झाँकते पूर्वापर
मैं वहाँ हूँ, उदास और शांताकार
सामयिक युद्ध में नारकीय झंकार
मैं प्यार हूँ, आगामी जीवन की मेखला पूर्ववत, 
मायावी महिमा, मधुर उदात्त, सर्वोच्च सौंदर्य, अनाहत, 
स्वप्निल आँखों की अटूट स्मृति की चाहत। 

 

मदलाशी= अर्द्धनिद्रा में, प्रेमलिप्त मनोदशा में युवती

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