पिताओं और पुत्रों की

पिताओं और पुत्रों की  (रचनाकार - प्रो. असीम पारही)

(अनुवादक: दिनेश कुमार माली )
उदासी

उदासी
बदलते मानसून के कोहरे का बादल
सैकड़ों उदास रातों का प्रतिफल
मेरे ‘अन्य’ और समय का आलिंगन
आहत ओडिसी की अकेली प्रस्तावना
दोपहर नदी का पागल किनारा
तंद्रालु कैटकिंस 'धाराओं की सिकुड़न
हरे भरे पहाड़ों की आँखों में ख़ालीपन
और उदास मधुरतम, पुरानी चकवा
अप्रैल की रिमझिम, सुबह का गुलाब! 
या, अर्द्ध रात्रि के मित्र-अवसाद ग्रस्त! 
मेरे ‘अन्य’, शिशु-प्रतीक्षा
चट्टानी नीरवता, तुम्हारा मित्र
कविता की धड़कन, इतनी देर? 
तुम मेरे दाता, मेरे सर्जनहार। 

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