पिताओं और पुत्रों की

पिताओं और पुत्रों की  (रचनाकार - प्रो. असीम पारही)

(अनुवादक: दिनेश कुमार माली )
जब मैं तुमसे प्यार करता हूँ

 

जब मैं तुमसे प्यार करता हूँ
बरसने लगती हैं स्मृतियाँ
नज़रों के सामने तैरता वर्तमान
व्यर्थ में पकड़ते, खोजते, सोचते
गाँव की सड़कें, विद्यालय के आँगन
धूल-धूसरित पत्ते और अतीत के क्षण, 
अनकहे शब्द और नासाग्र ध्यान
आजीवन आहत मेरे नयन
शैतानी पवन, चाँद का ग्रीष्म श्वसन
धुँधले शब्दों के तले, रात का तूफ़ान
हृदय की पुकार, लघु स्वप्न, 
मेरा एकमात्र विश्वास अटूट
शब्द और स्मृति सदैव अमिट
मगर बन जाती तुरंत श्मशान
जब उनका होता है अवतरण
न केवल धरती, बल्कि स्वर्ग का भी अतिक्रमण। 

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