टूटे घरौंदे 

01-04-2023

टूटे घरौंदे 

राजेश ’ललित’ (अंक: 226, अप्रैल प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

मारता है
हिलोरें
भावनाओं का समंदर
लग जाती हैं
कभी लहरें 
डबडबा जाते हैं किनारे
बिखर जाते है
रेत के घरौंदे
बनाया था
जिन्हें बड़े चाव से। 

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