भूकंप

राजेश ’ललित’ (अंक: 223, फरवरी द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

धरती हिल रही है
पहाड़ दरक रहे हैं
हम ख़्वा-मख़्वाह
मूँछें ऐंठे अकड़ रहे हैं! 

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