ठग ज़िन्दगी

15-05-2023

ठग ज़िन्दगी

राजेश ’ललित’ (अंक: 229, मई द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

लो ज़िन्दगी ने
फिर से मुझे
ठग लिया
 
झूठ बोल कर
ले गई सारी
ख़ुशियाँ कि
लौटा दूँगी सारी
ख़ुशियाँ कुछ
समय के बाद
 
और भी हैं
दुखी तुम ही
केवल नहीं
हो दुखी
वजह सबकी
अपनी अपनी रही
 
मेरे पास
शेष नहीं कुछ
फिर भी
यदि चाहो तो
इस तुच्छ को
ठग ज़िन्दगी

1 टिप्पणियाँ

  • 15 May, 2023 05:07 PM

    अति सुंदर रचना आदरणीय राजेश ललित शर्मा जी

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