समय : राजेश 'ललित'

15-10-2021

समय : राजेश 'ललित'

राजेश ’ललित’ (अंक: 191, अक्टूबर द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

1.
समय बताना ज़रा;
ये किसका समय है?
ये तेरा है?
ये मेरा है
समय; बस समय है!
न तेरा है 
न मेरा है!
 
2.
ये कैसा समय है?
न बहुत बुरा है,
न बहुत अच्छा  है!
समय बस समय ही है!
गुज़र रहा है, जैसे-तैसे।
 
3.
समय बदल गया!
समय ने सब बदल दिया !
वो अपनापन!
वो मित्र; वो रिश्ते!
सब खिसके!
 
4.
समय जैसे ठहर
सा गया है!
न; समय कहाँ ठहरा!
यह सिर्फ़ काल का पहरा!
हम हैं काल के ग्रास!

5.
हमारे पास तो
समय ही समय है!
जब कहोगे 
आ जायेंगे!
जब आपके पास
समय हो तो बता देना!
 
6.
समय तो था
मेरे पास!
रेत सा फिसल गया।
हाथ से निकल गया ।
हाथ मलता रह गया।

1 टिप्पणियाँ

  • 16 Oct, 2021 08:34 PM

    आदरणीय सुमन जी, आपका मेरी क्षणिकाओं को स्थान देने के लिये आभार एवं धन्यवाद। राजेश'ललित'

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