कफ़न

राजेश ’ललित’ (अंक: 223, फरवरी द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)


मिले इस बार
कुछ मुरझाये फूल
गुलदस्ते में
न जिसमें
रंग थे
न ख़ुश्बू
सुंदर काग़ज़ में
लिपटा निर्जीव जीवन 
जैसे कफ़न में लिपटा
पड़ा हो कोने में

1 टिप्पणियाँ

  • 16 Feb, 2023 09:43 AM

    अति सुंदर रचना राजेश ललित जी

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