राजेश 'ललित' – 003

15-12-2021

राजेश 'ललित' – 003

राजेश ’ललित’ (अंक: 195, दिसंबर द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

पहले भी आज़माया था
अब भी आज़मा ले
वैसे का वैसा हूँ
जैसा पहले था
अब भी वैसा हूँ
क्या करूँ
आदत से मजबूर हूँ। 
बदले तुम हो तो
मैं क्या करूँ?

1 टिप्पणियाँ

  • 15 Dec, 2021 08:50 PM

    छोटी सी क्षणिका में बहुत बड़ी बात कह दी। बहुत सुंदर

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