सूखा कुआँ

राजेश ’ललित’ (अंक: 210, अगस्त प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

कुँए सूखे, 
लोग बूँद-बूँद
को तरसे। 
ज्येष्ठ की गर्मी, 
तीस फ़ुट गहरे, 
कुँए में उतरी, 
समेटती बाल्टी भर पानी; 
ऊपर दादी, 
नीचे लड़की॥

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