राजकुमार दुलारा 

01-09-2025

राजकुमार दुलारा 

राजेश ’ललित’ (अंक: 283, सितम्बर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

वो नन्हा-सा, 
प्यारा-प्यारा, 
मम्मी-पापा, 
की आँख का तारा, 
पूरे घर का राजकुमार दुलारा। 
 
कभी इधर कूद, 
कभी उधर कूद, 
कभी एक खिलौना, 
हाथों से गया छूट, 
अभी नया नया था, 
पर अब तो गया टूट। 
 
दीदी को दीदी न कहता, 
उसकी हर चीज़ पर, 
कब्ज़ा करता, 
रिमोट छीनता, 
फिर न देता। 
 
ख़ूब खेलता, 
कभी कूदता, 
सोफ़े पर, 
कभी बिस्तर पर, 
गुलाटी भरता, 
 
आइस स्केटिंग, 
सधी सी करता, 
सॉकर में कुलाँचे भरता 
मार्शल आर्ट में 
भी आगे रहता, 
 
बड़ों बड़ों सी बातें करता, 
ठोड़ी पर रख हाथ, 
दिखा गंभीरता, 
समझ में कुछ आये, 
न आए, 
झूठ मूठ के सिर हिलाता। 
 
माता की सहायता करता, 
धुले कपड़े सुखाता, 
सूखे कपड़े अंदर लाता, 
तह करता, 
फिर उन्हें अपनी जगह रख आता। 
ऐसा मेरा प्यारा बच्चा, 
शरारती मगर दिल का सच्चा। 
सबके दिलों में बस जाता। 

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