हम भीड़ हैं

15-10-2023

हम भीड़ हैं

राजेश ’ललित’ (अंक: 239, अक्टूबर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

हम भीड़ हैं
हम भेड़ हैं
हम झुंड हैं
हम रुंड मुंड हैं
सिर में सिर जोड़े
हम बस फँसे फँसाये
यूँ चलते जायें
हैं तो साथ ही
चलेंगे साथ ही
डूबेंगे साथ ही
मरेंगे साथ ही
 
नहीं रहना अकेला
नहीं दिखना अकेला
ऊपर चढ़
क्या करेंगे? 
रुकेंगे कुछ देर
फिर नीचे उतरेंगे
अकेला रहना
ऊपर चढ़ना
उतरना
यह नहीं करना? 
 
बस भीड़ ही हैं
भीड़ ही रहेंगे! 

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