राजेश 'ललित' – 004

15-12-2021

राजेश 'ललित' – 004

राजेश ’ललित’ (अंक: 195, दिसंबर द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

सूरज को भी
चाह थी
दो पल 
ठहराव की
जेठ की 
तपती दोपहरी
चलते हुये पंथी
को बरगद की
छाँव की
बरगद भी
तपता दिन भर
छाँव देता
फिर भी

1 टिप्पणियाँ

  • 13 Dec, 2021 08:04 PM

    बहुत अच्छा।

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