मित्र से बात 

01-02-2025

मित्र से बात 

राजेश ’ललित’ (अंक: 270, फरवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

और सुना, 
इतने दिन, 
कहाँ रहा, 
अरे, क्या हुआ, 
तू तो रोने लगा, 
तेरे सिर पर, 
वो जो दुःखों का, 
गट्ठर था, 
वो हल्का हुआ, 
अथवा, 
ज्यों का त्यों रहा, 
अब क्या? 
 हाल है तेरा, 
सुना है, 
चोर सब लूट, 
कर ले गये, 
कमाया धन तेरा, 
वो तेरा, 
एक बेटा था, 
उसको क्या हुआ! 
क्या! 
वो तुझे बचाने आया, 
फिर, 
किसकी आढ़ में, 
उन्होंने भेष बदला, 
अपना सा बन, 
मार दिया, 
पोते को उठा, 
ले गये, 
बेचारा, बेबस बेसहारा, 
कहाँ होगा? 
हाँ, तुम्हारी बेटियाँ, 
क्या नहीं हैं! 
नहीं आती, 
तुम्हारे पास, 
अच्छे घरों में, 
ब्याही थीं, 
उनका भी पता, 
नहीं चल पा रहा, 
अब क्या करूँ? 
कौन सुने! 
बस, जब तक जीना, 
दुःख का ढोना। 
साथ रहेगा आँसू बहना। 
तुम मिले अच्छा लगा, 
यूँ ही कभी कभी, 
मिलते रहना। 

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