मौसम का मिज़ाज 

01-05-2025

मौसम का मिज़ाज 

राजेश ’ललित’ (अंक: 276, मई प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

मौसम का मिज़ाज बदला, 
हमारा मिज़ाज बदला नहीं, 
हम रहे, 
वहीं के वहीं, 
 
हवाओं का रुख़ बदला, 
हमारा रुख़़, 
हवाओं के विरुद्ध था, 
हम डटे रहे, 
वहीं के वहीं, 
 
हवाओं का रुख़ बदला, 
हुआ पश्चिमी
हमारा रुख़़ नहीं हुआ लचीला, 
हमारी रेखाएँ नहीं बदलीं, 
भाग्य रहा वहीं का वहीं
 
आज सूरज सिर चढ़ कर बोलेगा, 
घर के भीतर बने रहें, 
हमारा सूरज डूबा रहा, 
पूरब की ओर गया नहीं, 
हम रहे घर के बाहर, 
मन का दरवाज़ा, 
खटखटाते रहे बस यूँ ही, 
 
विक्षोभ सक्रिय हुआ, 
पहले पश्चिमी था, 
अब हुआ दक्षिणी, 
क़ाबू बहुत किया पर, 
मन का विक्षोभ था, 
कम हुआ ही नहीं। 
 
मौसम का पूर्वानुमान, 
कल चढ़ा था, 
आज फिर उतरा
 तापमान, 
आँधी आए या तूफ़ान, हम रहें, 
चाहे कहीं। 

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