थाली में छेद 

15-03-2025

थाली में छेद 

राजेश ’ललित’ (अंक: 273, मार्च द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

वह जिस थाली में, 
खाता है, 
उसी में छेद कर देता है, 
किसी को पता भी, 
नहीं चलता है, 
वह चुपचाप ऐसा कर, 
चल निकलता है, 
 
उसकी थाली में, 
पहले से ही छेद है, 
वह खाता ही, 
छेद वाली थाली में है, 
बेचारी थाली, 
बेचारा खाना, 
सब हराम हो गया, 
 
उसकी थाली में, 
छेद तो हैं, 
इतने महीन हैं, 
किसी को पता ही नहीं चलता, 
कि थाली, 
छेद वाली है, 
 
उसकी थाली में छेद, 
तो नहीं, 
पर वह बहुत चालाक है, 
वह खाना तो खाता ही है, 
थाली भी चबा जाता है, 
 
बेचारी थाली, 
ख़ाली की ख़ाली, 
इन के बीच फँसीं, 
उसके हाथ तो हैं, 
नहीं, 
अब चम्मच से खनकती रही, 
नहीं बजा सकती, 
ताली। 

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