कौन उलझे? 

राजेश ’ललित’ (अंक: 241, नवम्बर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

मैंने छोड़ दिया है! 
ज़िन्दगी को समझना! 
कौन उलझे! 
धागों से! 
कौन उलझे! 
रस्मों रिवाज़ों से! 
कौन उलझे! 
रिश्तों से
समाजों से! 
हम नासमझ ही सही! 

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