मुरझाये फूल

15-09-2022

मुरझाये फूल

राजेश ’ललित’ (अंक: 213, सितम्बर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

जो मिला
उसने ही झाँका
मेरे मन उपवन में
कुछ महके
खिले सुमन थे
तोड़ा किसी ने
जो माला में गुँथे हुए थे
मसला किसी ने
मुरझाये फूलों को
न देखा किसी ने
रौंदा पैरों से
और चले गये। 

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