जी तो रहा हूँ

01-06-2025

जी तो रहा हूँ

राजेश ’ललित’ (अंक: 278, जून प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

जी तो रहा हूँ
मगर ऐ ज़िंदगी
तुझसे कटा कटा सा हूँ
 
ध्यान से पढ़ना
ज़रा ये ख़बर
अख़बार फटा फटा सा हूँ
 
मत ढूँढ़ो सुकून
शहर में ऐ दोस्त
आदमी ज़रा बँटा बँटा सा हूँ
 
कहाँ साया देगा
सूखा पत्ता ऐ राही
दरख़्त से बस सटा सटा सा हूँ
 
पूछ लो सवाल
कोई भी इनसे
जवाब बस रटा रटा सा हूँ। 
 
जब भी तोला
ज़िंदगी को तुमने
लम्हा लम्हा घटा घटा सा हूँ

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
हास्य-व्यंग्य कविता
चिन्तन
बाल साहित्य कविता
सांस्कृतिक आलेख
कविता - क्षणिका
स्मृति लेख
सामाजिक आलेख
कविता - हाइकु
लघुकथा
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में