शरद की आहट

राजेश ’ललित’ (अंक: 192, नवम्बर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

1.
शरद ने आहट दी
फूल खिलखिला उठे
किसी ने गर्दन हिलाई
गुलाब मुस्करा उठे
गुनगुनी धूप ने
गुदगुदाया मन 
 
2.
मन की खिड़की खोल
झोंका हवा का
बहने दो
धूप आने दो
अमलतास पर बैठी
कोयल छेड़ देगी
मन के तार
उसे कोई गीत
गुनगुनाने दो

1 टिप्पणियाँ

  • 1 Nov, 2021 07:36 PM

    आदरणीय शर्मा जी आपकी यह अद्भुत एवं दिल को छू लेने वाली रचना है

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