जी, पिता जी

15-04-2022

जी, पिता जी

राजेश ’ललित’ (अंक: 203, अप्रैल द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

जी, पिता जी! 
हाँ, पिता जी! 
न, पिता जी! 
 
क्या, पिता जी! 
कहाँ? पिता जी! 
कब, पिता जी! 
कैसे, पिता जी! 
 
ये, पिता जी! 
वो पिता जी! 
क्यों, पिता जी! 
 
यहाँ पिता जी! 
वहाँ, पिता जी! 
मेरा सारा है
जहाँ, पिता जी! 
 
ऐसे, पिता जी! 
वैसे, पिता जी! 
जैसे पिता जी! 
 
त्यौरी पिता जी
डाँट पिता जी
दुलार पिता जी
 
प्रश्न पिता जी
उत्तर पिता जी
हल पिता जी
 
कर्म पिता जी
धर्म पिता जी
क्रोध पिता जी
नर्म पिता जी
 
क़लम पिता जी
तलवार पिता जी
जीवन की हर 
धार पिता जी
 
नहीं छोड़ते कभी
मंझधार पिता जी
ले जाते नाव हर बार
उस पार पिता जी

5 टिप्पणियाँ

  • 14 Apr, 2022 10:52 AM

    विवेक जी को उत्साहवर्द्धक टिप्पणी का धन्यवाद।

  • 13 Apr, 2022 09:39 PM

    आदरणीय शर्मा जी बहुत सुंदर रचना

  • 13 Apr, 2022 09:38 PM

    अहो भाग्य हमारे जो हमें आप जैसे विद्वानों की कविताएं पढ़ने को मिल जाती हैं आदरणीय शर्मा जी बहुत सुंदर रचना

  • 13 Apr, 2022 09:21 PM

    कृति शर्मा का टिप्पणी के लिये धन्यवाद।

  • 13 Apr, 2022 07:56 PM

    अति सुंदर

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