झूठ की ओढ़नी 

15-11-2024

झूठ की ओढ़नी 

राजेश ’ललित’ (अंक: 265, नवम्बर द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

झूठ ने, 
फिर एक झूठ, 
ओढ़ लिया, 
ताकि सत्य लग 
सके, 
 अब सत्य भी, 
झूठ बोलने लगा है, 
कि सत्य लग सके। 
वैसे सत्य तो पहले से ही नंगा था। 

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