सीले रिश्ते

15-12-2021

सीले रिश्ते

राजेश ’ललित’ (अंक: 195, दिसंबर द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

बरसात होती रही
दिन भर
सब हुआ
गीला गीला
सीला सीला
रिश्ते तक
भीग गये
यत्न किया
बहुत ही
गर्माहट वो पहले की
वापस न आ सकी
फिर से। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

चिन्तन
कविता
हास्य-व्यंग्य कविता
सांस्कृतिक आलेख
कविता - क्षणिका
स्मृति लेख
बाल साहित्य कविता
सामाजिक आलेख
कविता - हाइकु
लघुकथा
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में