ख़्याली पुलाव 

01-07-2024

ख़्याली पुलाव 

राजेश ’ललित’ (अंक: 256, जुलाई प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

मुझे पुलाव बनाना था 
ख़्याली था, 
कुछ नहीं था, 
मेरे पास, 
बस कुछ शब्द 
ही थे
फिर उनमें से, 
कुछ शब्द चुने, 
कुछ वाक्य बुने, 
भावों में पका कर
रच दी एक रचना। 
एक अनकही कथा!

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