हारना

राजेश ’ललित’ (अंक: 241, नवम्बर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

हमने तो हारना
ही था! 
ऐ ज़िन्दगी, 
फिर भी
उतर पड़े हैं! 
अखाड़े में, 
लड़ते-लड़ते
चाहे हारेंगे, 
पर खेलेंगे ज़रुर।

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