शून्य

राजेश ’ललित’ (अंक: 220, जनवरी प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

आँखों में सूनापन 
देखती हैं सिर्फ़
शून्य और शून्य
सूख गये हैं आँसू
जब भी उमड़ती हैं
भावनायें 
तो भीगता है मन
आँखें रहती हैं 
अब भी सूनी

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