देर ही देर

राजेश ’ललित’ (अंक: 240, नवम्बर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)


ज़रा देर हो गई है? 
अंधेर भी हो गया है। 
और भी अंधेर 
होना बाक़ी है! 
भगवान अभी घर पर
नहीं हैं! 
भगवान अभी छुट्टी
पर हैं! 
आयेंगे तो पता चलेगा? 
देर हो गई है
या अंधेर अभी जारी रहेगा। 

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