माँ 

राजेश ’ललित’ (अंक: 246, फरवरी प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

माँ ने कहा था
मैं जा रही हूँ
पीछे मेरे घर का
ख़्याल रखना
छोटे हैं भाई बहन
इनको सँभाल रखना
 
माँ ने कहा था
बड़ी कठिन है
डगर जीवन की
पग पग सँभल कर धरना
मोड़ सीधे नहीं
टेढ़े मेढ़े राह हैं
चुभेंगे काँटे
तीखे तीखे
चीखना नहीं
बस कष्ट जो आएँ
धैर्य रखना
सहन करना 
आँसू आँखों के
भीतर ही रखना
 
माँ को कहा था
वायदा किया था
निभा नहीं पाया
बहन भी खोई
भाई भी खोया
सब कुछ खोया
नहीं सँभाल पाया
आप को दिया वादा
नहीं निभा पाया
मुझे क्षमा करना
मेरी माता, मेरी माँ
 
माँ को कहा था
सँभालूँगा आपकी
विरासत
आपकी अमानत 
पता नहीं कैसे? 
हो गई अमानत
में ख़यानत
कर्मन्येवाधिकारस्ते
मा फलेषु कदाचने
 
माँ मेरी प्रार्थना है
अगले जन्म
मुझे अपनी कोख 
फिर देना
चाहे जितने दुख
देना
मन चाहे बस तुम्हारी
सेवा करना
बस मेरी प्रार्थना
स्वीकार करना
अगला जन्म लूँ
मैं तुम्हारे अंगना

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