पेड़ और आदमी

15-12-2023

पेड़ और आदमी

राजेश ’ललित’ (अंक: 243, दिसंबर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

पेड़ झुका हुआ था
पर आदमी तना हुआ था। 
पेड़ पर काँटे लगे थे! 
वह आदमी को
चुभ रहे थे! 
आदमी पर काँटे
लगे थे
पर वो नज़र
नहीं आ रहे थे
वे काँटे उसके
भीतर उगे थे
ज़बान काँटों से
भरी थी
 
पेड़ के काँटे
तो ठीक हो जाते थे
परन्तु आदमी की
ज़ुबान से निकले
काँटे
तमाम उम्र चुभते रहते! 
कटा हुआ पेड़
अब तक तड़प
रहा है। 
 
आदमी की ज़ुबान
के काँटे फिर से चुभे। 
वन विभाग ने
झुके पेड़ के पर (डाल) काट दिए
पेड़ ठूँठ हो गया। 
उसके काँटे उगने
बंद हो गये। 
लोग बेख़ौफ़ हो
आने जाने लगे। 
आदमी के काँटों की
चुभन 
एक पेड़ को
सदा के लिए
चुभती रहेगी। 
 
सच है आदमी का काटा
पानी नहीं माँगता
कटा पेड़
प्यासा ही मर जायेगा
तड़प तड़प कर।

1 टिप्पणियाँ

  • 17 Dec, 2023 06:53 PM

    आदरणीय राजेश शर्मा जी अति उत्तम शब्द कम हैं आजकल इस कलयुग में आदमी स्वाभिमान काम अभिमान से जी रहे हैं आपने जिस तरह व्याख्यान किया वह बहुत ही प्रशंसनीय है

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