गुटर गूँ-गुटर गूँ

15-11-2022

गुटर गूँ-गुटर गूँ

राजेश ’ललित’ (अंक: 217, नवम्बर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

उनका मतलब
मैं कुछ न बोलूँ
चुपचाप देखूँ
गुटर गूँ
गुटर गूँ करूँ
जो हो रहा है
होने दूँ
न कभी भी
मूँह खोलूँ
यदि बोलूँ
तो आँख बंद कर लूँ
गुटर गूँ, गुटर गूँ; 
मन ही मन करूँ। 
कबूतर बन देखूँ; 
बिल्ली का इंतज़ार करूँ, 
झपट्टा मारे, 
लपक कर, 
खा जाये मुझे
कोई समेटे
पंख मेरे
मरे हुए
शरीर को समेटे
फेंक दे दूर कहीं
वहाँ हो साफ़ 
जंगली पशुओं द्वारा 
पंख तक खा जायें जो
जैसे कुछ हुआ ही न हो। 

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