एक थका हुआ सच

एक थका हुआ सच  (रचनाकार - देवी नागरानी)

(अनुवादक: देवी नागरानी )
एटमी धमाका 

 

सहाई मेरी बेटी 
लता के गीत सुनते सुनते 
सो रही है 
ख्व़ाब में मुस्कराते न जाने क्या क्या सोच रही है 
वह क्या जाने! हिन्द क्या है? सिन्ध क्या है? 
कश्मीर की हसीन वादी पर 
उड़ते परिन्दों का मज़हब कौन सा है? 
नूरजहां किसकी और लता किसकी उत्तराधिकारी हैं 
वह, न तो अख़बार पढ़ सकती है 
और न टेलीविज़न की प्रचारी ख़बरें समझ सकती है 
वह तो ‘डिश’ के जरिये माधुरी संग 
हम रक्स हो जाती है 
हिन्दू-पाक की सियासत से बेख़बर 
हर वक्त शाहरूख़ खान से मिलने के 
सपने देखती है 
और आज ढोलक की ढम ढम पर 
एटम बम की तस्वीर को नचाते देखकर 
बाग़ों में फूलों के बीच 
चाग़ी पहाड़ का मॉडल देखकर 
पूछती है कि यह क्या है? 
फूल पत्थर, खुशबू वाली 
मौसीकी और एटम बम का आपस में 
क्या रिश्ता है? 
क़ादिर खान से ज़्यादा मुश्किल मेरा काम है 
माँ के सीने से लफ़्ज़ों का होंठों तक का सफ़र पेचीदा है 
हाँ, तुम जैसे करोड़ों मासूमों के 

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