एक थका हुआ सच

एक थका हुआ सच  (रचनाकार - देवी नागरानी)

(अनुवादक: देवी नागरानी )
सफ़र 

मेरी जिन्दगी का सफ़र 
घर से क़ब्रस्तान तक 
लाश की तरह 
बाप-भाई, बेटे और शौहर के 
कांधों पर मैंने बिताया है 
मज़हब का स्नान देकर 
रस्मों का कफ़न पहनाकर 
बेख़बरी की कब्र में दफ़नाई गई हूँ!     

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