एक थका हुआ सच

एक थका हुआ सच  (रचनाकार - देवी नागरानी)

(अनुवादक: देवी नागरानी )
अपनी बेटी के नाम 

 

अगर तुम्हें ‘कारी’ कहकर मार दें 

मर जाना, प्यार ज़रूर करना! 

शराफ़त के शोकेस में 

नक़ाब ओढ़कर मत बैठना, 

प्यार ज़रूर करना! 

प्यासी ख्वाहिशों के रेगिस्तान में 

बबूल बनकर मत रहना 

प्यार ज़रूर करना! 

अगर किसी की याद हौले-हौले 

मन में तुम्हारे आती है 

मुस्करा देना 

प्यार ज़रूर करना! 

वे क्या करेंगे? 

तुम्हें फक़त संगसार करेंगे 

जीवन के पलों का लुत्फ़ लेना 

प्यार ज़रूर करना! 

तुम्हारे प्यार को गुनाह भी कहा जायेगा 

तो क्या हुआ? ...सह लेना। 

प्यार ज़रूर करना! 

‘कारी’ (कलंक)

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