एक थका हुआ सच

एक थका हुआ सच  (रचनाकार - देवी नागरानी)

(अनुवादक: देवी नागरानी )
जज़्बात का क़त्ल 

मेरी तुमसे तो कोई जंग न थी 
फिर क्यों तुमने स्नेह का संदेश भेजकर 
धोखा देकर करबला बुलाया 
मेरे मन में कोई खोट न था 
मैंने दोस्ती के लिये दोनों हाथ बढ़ाये 
तुमने मेरे ख़ाली हाथों में हथकड़ियाँ डाल दीं 
मेरे पास वैसे भी कौन से हथियार थे 
तुम कितने तीर ले आए 
इतने काफ़िले के लिये 
अरमान, ऐतबार, उम्मीद और मुहब्बत 
चंद जज़्बे जो साथी बनकर मेरे साथ आए 
वे तुमने एक एक करके मौत के घाट उतारे 
मुझे अकेला करके करबला के मैदान में 
मुनाफक़त के तीर बरसा कर मारा है 
पर मेरा शऊर ज़िन्दा है 
याद रखना वह क़यामत तक 
तुम्हें माफ़ नहीं करेगा! 
 
करबलाः इराक़ का एक स्थान जहाँ इमाम हुसैन के दूसरे बेटे हज़रत अली की मौत हुई और दफ़नाया गया     

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