एक थका हुआ सच

एक थका हुआ सच  (रचनाकार - देवी नागरानी)

(अनुवादक: देवी नागरानी )
तख़लीक़ की लौ 

अमावस की रातों में 
तेरा इन्तज़ार करते करते 
ज़ात का दिया बुझ भी जाए 
मेरी प्रतिभा की लौ जलती रहेगी! 

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