एक थका हुआ सच

एक थका हुआ सच  (रचनाकार - देवी नागरानी)

(अनुवादक: देवी नागरानी )
झूठा आईना 

वीरान आँखें, झुर्री झुर्री चेहरा 
किसका है? 
आईना झूठ बोलता है 
झूठ और फ़रेब की दुनिया में 
कोई किस पर कैसे भरोसा करे? 
आईना झूठ बोलता है 
ठोड़ी तले लटकता मांस 
बाल है चाँदी की तारें 
आईना फ़कत मुझे चिढ़ाता है 
आईना झूठ बोलता है 
कोई इस बैरी को फाँसी पर लटका दे 
आईना झूठ बोलता है! 

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